संगठन में शक्ति पर निबंध
संगठन की शक्ति – “एकता का दुर्ग इतना सुरक्षित होता है कि इसके भीतर रहने वाले कभी भी दुःखी नहीं होते है ।” आप ने कभी अंगीठी में जलते हुए कोयले को देखा है ? सभी कोयले एक साथ मिलकर कितने तेजस्वी हो जाते है। पर आपने कभी सोचा है जो कोयला अंगीठी में इतना तेजस्वी है अगर उसमें से किसी एक कोयले को अंगीठी से बाहर निकाल कर रख दें तो उस कोयले का क्या हश्र होगा ? जी हां वह अकेला पड़ने पर राख हो जाएगा। इंसान के साथ भी कुछ ऐसा ही होता है । जब तक व्यक्ति समुदाय या संगठन में रहता है तभी तक उसका अस्तित्व है संगठन से बाहर होने पर व्यक्ति का पतन निश्चित है।संगठन से बड़ी कोई शक्ति नहीं होती है । “ संगठन की शक्ति से ही देश का विकास होता है ।”
Unity Hindi Essay : संगठन की शक्ति, परिभाषा एवं विशेषता

व्यक्ति से परिवार, परिवार से समुदाय और समुदाय से देश व समाज का निर्माण होता है। इसलिए संगठन के अभाव में व्यक्ति ही नहीं बल्कि देश व समाज भी सुचारू रूप से नहीं चल सकता है ।
अगर संगठन का देश के नागरिक में अभाव हो तो उस देश को परतंत्र होने में वक्त नहीं लगता और यह इसलिए भी जरुरी है क्योंकि किसी काम को करने के लिए जितने लोग जुटते है उस काम को करने के लिए उतनी ही ताकत बढ़ जाती है ।
संगठन की संरचना
‘संगठन की शक्ति ’ का महत्व सिर्फ इंसान ही नहीं बल्कि प्रकृति के सभी जीव जंतु भी भलीभांति समझते है। इसका बेहतरीन उदहारण है ‘ग्रेट बैरियर रीफ’ जो ऑस्ट्रेलिया के उत्तरी तट पर स्थित एक चट्टान है। भूगोल में इसका विशिष्ट स्थान है ।
यह तकरीबन 1000 मील से भी ज्यादा लम्बी है और न्यूनतम 20 फीट तक चौड़ी है । इसके नजदीक जाने से विशालकाय जहाज भी डरते है । अगर आप का subject भूगोल रहा होगा तो आप सोच रहे होंगे कि यह कौन सी चट्टान है जिसे मैं नहीं जानता हूँ ? तो आप बिलकुल सही सोच रहे है क्योंकि सचमुच यह कोई पत्थर की चट्टान नहीं है, दरअसल मैं बात कर रही हूँ ‘स्टोनो कोरल्स’ जाति के ‘एंथ्रोजोवा’ जीव की । इस जीव का चट्टान की तरह एक उपनिवेश में रहना यह बताता है कि संगठन की शक्ति ही सबसे बड़ी शक्ति होती है ।
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दोस्तों CA Ashish Gupta जी द्वारा लिखी
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यह चट्टान ऊपर से जितना सख्त और सुदृढ़ है अन्दर से उतना ही कोमल है । यह जीव अपने बाहरी आवरण को एक मजबूत किले के समान सुरक्षित बना के रखते है । लेकिन जो बात इनको सबसे खास बनाती है वह है इनका आपस में एक संगठन की तरह कार्य करना । संगठन के भीतर सभी जीव श्रम विभाजित करके अपना – अपना काम करते है जैसे कि कोई जीव खाने – पीने की व्यवस्था करता है तो कोई जीव बच्चों का पालन – पोषण करता है ।
कहने का तात्पर्य यह है कि जब ये जीव संगठित होकर रह सकते है तो हम क्यों नहीं रह सकते ? हम ब्राहण, क्षत्रिय, वैश्य चाहे जितने भी वर्गों में बटे हो, शासन और सामाजिक व्यवस्थाओं के स्वरूप भले ही बनते बिगड़ते रहें हो, पर हम धर्म और संस्कृति की दृष्टि से अपनी एकता कभी भंग न करें, तभी हम संसार की भयंकरताओं से लड़ कर जीत हासिल कर सकते है ।
अगर हम आपस में संगठित होकर रहें तो कोई भी बाहरी देश हम पर ऊँगली नहीं उठा सकता है । हमें इन जीवों से सीख लेनी चाहिए कि जब ये छोटे – छोटे जीव संगठित होकर इतने शक्तिमान हो सकते हैं तो हम बुद्धिशील भारतीय जातीय एकता के बंधन को मजबूत करके समर्थ क्यों नहीं हो सकते !
भारत में भी एक वक्त ऐसा था जब लोग एक ही पिता की संतान की तरह संगठित होकर रहते थे और जब तक यह संगठन बना रहा तब तक भारत विश्व में अपराजेय रहा और विश्व में “सोने की चिड़िया ” कहलाया ।
संगठन की शक्ति की सीख तो मक्खी से भी मिल जाती है । जाड़े के मौसम में तापमान जब गिर जाता है, उस समय अगर मक्खियाँ अकेली – अकेली रहती है तो वह जीवित नहीं रह पाती है । लेकिन मक्खियों की समझ हम इंसानों से अच्छी है तभी तो यह अपनी भूल तुरंत अनुभव कर लेती है और जाती – पात, ऊच – नीच के भेदभाव भूलकर वे लाखों की संख्या में संगठित होकर एक छत्ते की – सी आकृति बना लेती है ।
यहाँ पर ये मक्खियाँ जात – पात के भेद भुलाकर एक साथ खाती – पीती, उठती बैठती दिखाई देने लगती है । इन मक्खियों के सटे रहने की वजह से या ये कहें कि एक जुट रहने की वजह से हवा नहीं प्रवेश कर पाती है और वे ठंड से बची रहती है ।
संगठन की विशेषता
संगठन की शक्ति ही सर्वोत्कृष्ट शक्ति है और यही संगठन भारत को महान बनाता है । यहाँ अनेक धर्म, संस्कृति और भाषा के लोग मिलजुल कर रहते है और यही इस देश की विशेषता है । यह अनेकता में एकता का देश है । नीचे लिखी पंक्ति भारत की अनेकता में एकता को ही दर्शाता है –

आज इसी संगठन को भेद – भाव, भ्रष्टाचार, आतकंवाद आदि के खिलाफ लड़कर और भी मजबूत बनाना है क्योंकि संगठन और जातीय एकता किसी भी देश के लिए सुरक्षा का काम करती है । अगर हम सभी संगठित होकर रहें तो कोई भी बाहरी इस संगठन को भेद नहीं सकता है । जब तक हम संगठित है तब तक कोई हम सब का कुछ नहीं बिगाड़ सकता है । जहाँ संगठन की शक्ति होती है वहां सुख और शांति बना रहता है ।
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Sangathan ki shakti par bahut accha essay likha hai. वाकई संगठन की शक्ति से मनुष्य बड़े-बड़े कार्यों को भी आसानी से हल कर सकता है. धन्यवाद ।
अच्छा लेख
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