Hindi Post Hindi Stories

एकता में शक्ति की तीन शानदार कहानियाँ – Ekta me Shakti Story in Hindi

एकता में शक्ति की तीन शानदार कहानियाँ – Ekta me Shakti Story in Hindi

Kahani - story on Ekta Me Shakti
Kahani – story on Ekta Me Shakti
विनोवा भावे

Ekta me Shakti Short Story in Hindi – कहते हैं कि एक अकेला चना भाड़ नहीं फोड़ सकता…कहने का मतलब यह है कि एकता में ही शक्ति है…यहां प्रस्तुत कहानी जो है तो बड़ी पुरानी। लेकिन विद्यार्थियों के लिए विशेष रूप से कक्षा 2, 3 और 4 के बच्चों के लिए बहुत उपयोगी है। तो चलिए जानतें हैं एकता में शक्ति है कहानी, जो निश्चित रूप से छोटे बच्चों और छात्रों को प्रेरित करेगी।

बंद मुट्ठी लाख की और खुल जाए तो खाक की…

एक बार हाथ की पांचों उंगलियों में आपस में झगड़ा हो गया। वे पांचो खुद को एक दूसरे से बड़ा सिद्ध करने की कोशिश में लगे थे। अंगूठा बोला कि मैं सबसे बड़ा हूं उसके पास वाली उंगली बोली मैं सबसे बड़ी हूं। इसी तरह सारे खुद को बड़ा सिद्ध करने में लगे थे।

जब निर्णय नहीं हो पाया, तो वे सब अदालत में गए। न्यायधीश ने सारा माजरा सुना और उन पांचों से बोला कि आप लोग सिद्ध करो कि कैसे तुम सबसे बड़े हो?

अंगूठा बोला – मैं सबसे ज्यादा पढ़ा लिखा हूं। क्योंकि लोग मुझे हस्ताक्षर के स्थान पर प्रयोग करते हैं। पास वाली उंगली बोली की लोग मुझे किसी इंसान की पहचान के तौर पर इस्तेमाल करते हैं। उसके पास वाली उंगली ने कहा कि आप लोगों ने मुझे नापा नहीं; अन्यथा मैं ही सबसे बड़ी हूं। उसके पास वाली उंगली बोली मैं सबसे ज्यादा अमीर हूं। क्योंकि लोग हीरे, जवाहरात और अंगूठी मुझेमें पहनते हैं।

इसी तरह सभी ने अपनी अलग-अलग प्रशंसा की। न्यायधीश ने एक रसगुल्ला मंगाया और अंगूठे से कहा कि इसे उठाओ। अंगूठे ने भरपूर जोर लगाया लेकिन रसगुल्ले को नहीं उठा सका। इसके बाद सारी उंगलियों ने एक-एक करके कोशिश की लेकिन सभी विफल रहे।

अंत में न्यायधीश ने सबको मिलकर रसगुल्ला उठाने का आदेश दिया। तो झट से सब ने मिलकर रसगुल्ला उठा दिया। फैसला हो चुका था। न्यायाधीश ने फैसला सुनाया कि तुम सभी एक दूसरे के बिना अधूरे हो और अकेले रहकर तुम्हारी शक्ति का कोई अस्तित्व नहीं है। जबकि संगठित रहकर तुम कठिन से कठिन काम आसानी से कर सकते हो।

तो मित्रों एकता में बहुत शक्ति होती है। ये बात बरगद के पेड़ पर में रहने वाली गिलहरी को जब समझ में आई तो उसने सोचा मिल जुल कर रहना चाहिए। सभी को मिलकर काम करना चाहिए। क्योंकि –

एकता का फल मीठा होता है… 

एक दिन गिलहरी अपने साथ पेड़ पर रहने वाली मैना से बोली – ‘दीदी हम तीनों अलग-अलग खाना बनाते हैं। इसमें समय ज्यादा लगता है। क्यों न एक साथ ही सबका खाना बना लिया करें? तो मैना बोली और कपड़े भी सब अलग-अलग धोते हैं। उसमें भी समय अधिक लगता है।

उसी पेड़ के नीचे एक मुर्गी रहती थी। उनकी बाते सुन कर मुर्गी ने कहा सभी को अपने बगीचों की अलग-अलग रखवाली भी करनी पड़ती है। कभी-कभी तो हम तीनों ही रात भर जागती हैं इससे क्या लाभ है? क्यों न हम तीनों मिलकर काम करें? मुर्गी बहन बागवानी देखें तथा सब्जियाँ उगाएँ। बहन मैना कपड़े धोए। और गिलहरी बहन खाना बनाएँ।

फिर गिलहरी ने रोज की रसोई का सारा काम संभाल लिया। वह बड़ी फुर्ती से जाती; ताज़ी हरी सब्जियाँ तोड़ कर लाती और पकाती। जो की मुर्गी रानी बगीचे में पानी डालकर निराई गुड़ाई कर उगाई रहती थी। मुर्गी बगीचे में तरह तरह के फल-फूल बोती थी। जिससे कुछ ही दिनों में पूरा बगीचा तरह-तरह की सब्जियों, फलों और फूलों से खूब खिल उठा था।

मैना सभी के कपड़े की गठरी बांध लेती। उसे पंजों में दबाकर नदी के किनारे ले जाती। साबुन लगाकर कपड़े रगड़ती और चोंच में दबाकर नदी में धो लाती। अब गिलहरी मैना और मुर्गी के पास समय भी बचता था। कम मेहनत में उनका अच्छे से सारा काम हो जाता था। इससे उनकी समय की भी बचत होती थी। अपने बचे समय में तीनों ही सहेलियां पेड़ के तले बैठकर गपशप करती थी।

एक दिन तीनों बैठी-बैठी मूंगफली खा रही थी। खाते-पीते गिलहरी बोली दीदी हम बहुत समय तक खाली बैठी रहती हैं। इस तरह खाली बैठने से क्या लाभ? हर समय कुछ ना कुछ करते रहना चाहिए।

मैना बोली हां दीदी अपना काम तो सभी करते हैं। महान वही है जो दूसरों की भलाई का काम करते हैं। तीनों ने सोचा कि पेड़ के नीचे एक स्कूल खोला जाए। कलियां, कोयल कुहुक-कुहुक कर सबको यह बात बता आई।

दूसरे ही दिन से चींटी, कोयल, चिडयाँ आदि के बहुत से बच्चे पढ़ने आने लगे। मैना गिलहरी और मुर्गी जल्दी-जल्दी अपना काम कर लेती । दोपहर में भी बच्चों को पढ़ाया करती। धीरे-धीरे कोयल, चींटी और चिड़िया सभी के बच्चे बड़े होशियार हो गए। उनके इस काम से आज भी जंगल के पक्षी गिलहरी, मैना और मुर्गी की प्रशंसा करते रहते हैं। सच है जो अपना काम मिल जुलकर करते हैं वह सुखी रहते हैं और दूसरों से प्रशंसा भी पाते हैं। 

इसी प्रकार भारत अनेक विविधताओं का देश है। यहाँ के लोग अनेक धर्मों, प्रजातीय, भाषाई, सांस्कृतिक आदि समूहों में बंटे हुए। इसलिए देश को जोड़ने  के लिए हमारा और आपका यानि सबका आपस में जुड़ना बेहद जरुरी है। आखिर जुड़ेगा इंडिया तभी तो आगे बढ़ेगा इंडिया…यह बात विनोवा भावे जी बहुत अच्छी तरह समझते थे। यह कहानी विनोवा भावे के जीवन का ही एक वाकया है।

जुड़ेगा इंडिया तभी तो आगे बढ़ेगा इंडिया…

एक दिन विनोवा भावे जी के पास collage के कुछ students आये। विनोवा जी ने उन्हें कागज के टुकड़े देते हुए कहा – आप लोगों को इन कागज के टुकडो से भारत का नक्शा बनाना है। विद्यार्थी बहुत देर तक सिर खपाने के बाद भी उन टुकड़ो को जोड़कर नक्शा नहीं बना पाये। पास ही एक नौजवान युवक बैठा यह सब देख रहा था।

कुछ साहस करके उसने विनोवा जी से कहा – “आप यदि आज्ञा दें तो मैं इन टुकड़ो को जोड़ दूं।”

विनोवा जी की आज्ञा पाकर कुछ ही देर में उस युवक ने टुकडो को जोड़कर नक्शा बना दिया।

विनोवा जी ने उस युवक से पूछा –   “तुमने इतनी जल्दी इन टुकड़ों को कैसे जोड़ दिया?” 

युवक ने कहा – “इन टुकड़ो में एक तरफ भारत का नक्शा है तथा दूसरी तरफ आदमी का। मैंने आदमी को जोड़ा भारत अपने आप बन गया।

Loading...

उस युवक की बातों और बिचारों से खुश होते हुए विनोवा जी बोंले – बिलकुल सही, एकता में अपार शक्ति होती है। इसलिए यदि हमें देश को जोड़ना है तो पहले आदमी को जोड़ना पड़ेगा, आदमी जुड़ेगा तो देश अपने आप जुड़ जायेगा।

Moral : भारत अनेक विविधताओं का देश है। यहाँ के लोग अनेक धर्मों, प्रजातीय, भाषाई, सांस्कृतिक आदि समूहों में बंटे हुए। इसलिए देश को जोड़ने  के लिए हमारा और आपका यानि सबका आपस में जुड़ना बेहद जरुरी है। आखिर जुड़ेगा इंडिया तभी तो आगे बढ़ेगा इंडिया…

इन शिक्षाप्रद कहानियों को पढ़ना न भूले Click Here 

समय के महत्व पर गांधी जी की 4 बेहतरीन कहानियां : Click Here

लघु नैतिक और प्रेरणादायक प्रेरक प्रसंग : Click Here

नैतिक मूल्य व नैतिक शिक्षा पर आधारित एक शिक्षाप्रद कहानी : Click Here

शिक्षक दिवस भाषण और निबंध : Click Here

गुरु शिष्य की कहानियाँ : Click Here  

दोस्तों ! उम्मीद है उपर्युक्त ‘Ekta me Shakti Short Story in Hindi छोटे और बड़े सभी लोगों के लिए उपयोगी साबित होगा। गर आपको हमारा यह पोस्ट अच्छा लगा हो तो इसमें निरंतरता बनाये रखने में आप का सहयोग एवं उत्साहवर्धन अत्यंत आवश्यक है। आशा है कि आप हमारे इस प्रयास में सहयोगी होंगे साथ ही अपनी प्रतिक्रियाओं और सुझाओं से हमें अवगत अवश्य करायेंगे ताकि आपके बहुमूल्य सुझाओं के आधार पर इस कहानी को और अधिक सारगर्भित और उपयोगी बनाया जा सके।

और गर आपको इस कहानी या लेख में कोई त्रुटी नजर आयी हो या इससे संबंधित कोई सुझाव हो तो वो भी आमंत्रित हैं। आप अपने सुझाव को इस लिंक Facebook Page के जरिये भी हमसे साझा कर सकते है। और हाँ हमारा free email subscription जरुर ले ताकि मैं अपने future posts सीधे आपके inbox में भेज सकूं। धन्यवाद!

 FREE e – book “ पैसे का पेड़ कैसे लगाए ” [Click Here]

Babita Singh
Hello everyone! Welcome to Khayalrakhe.com. हमारे Blog पर हमेशा उच्च गुणवत्ता वाला पोस्ट लिखा जाता है जो मेरी और मेरी टीम के गहन अध्ययन और विचार के बाद हमारे पाठकों तक पहुँचाता है, जिससे यह Blog कई वर्षों से सभी वर्ग के पाठकों को प्रेरणा दे रहा है लेकिन हमारे लिए इस मुकाम तक पहुँचना कभी आसान नहीं था. इसके पीछे...Read more.

17 thoughts on “एकता में शक्ति की तीन शानदार कहानियाँ – Ekta me Shakti Story in Hindi

  1. ऐसे प्रेरक प्रसंग हमारे मन में जीने का उत्साह पैदा करते है, बहुत ही सुन्दर प्रेरक प्रसंग आपने हम सब के बीच रखा है | बहुत बहुत धन्यवाद बबिता जी

  2. “इन टुकड़ो में एक तरफ भारत का नक्शा है तथा दूसरी तरफ आदमी का | मैंने आदमी को जोड़ा भारत अपने आप बन गया | ye line dil ko chu gayi and thanks 🙂

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *