जिंदगी हमें मिलती है कोरे कागज की तरह, उस पर हम क्या लिखते हैं कौन से रंग भरते हैं या कि उसे बदरंग करते हैं, यह हमारे हाथ में है। हमने अपने आस – पास बहुत से दायरे बना रखे हैं – जाति और परिवार के, शिक्षा और प्रतिष्ठा के, ऊँच – नीच के। इनसे बंधे हम जिंदगी के साथ नए प्रयोग नहीं कर पाते तथा अपनी जिंदगी की अनदेखी करने लगते हैं और बेवजह का अफसोस या पछतावा करते है। बेहतर तो यह होगा कि इन अवसादो (depression) से उबरने का तरीका आप सीख लें, इस अपराध बोध से निकलने के कुछ ऐसे ही खुश रहने के तरीके मैं आप से share कर रही हूँ।
खुश रहना है तो पछताना छोड़े
आज इस भागदौड़ वाली जिंदगी में हमें – आपको कम – से – कम एक बार इस बात का अफसोस तो होता ही हैं कि हम – आप अपने जीवनसाथी, बच्चों और अपने परिवार को time नहीं दें पा रहे हैं ? कभी – कभी तो ऐसा लगता है कि हम अपने आप को भी time नहीं दे पा रहे है। रात को office से लौटते है, तो बच्चा सोते हुए मिलता है और आप का मन उदास हो जाता है या फिर office में मेरा project reject तो नहीं हो जायेगा ये सोचकर आप को ठीक से नींद भी नहीं आती।
अधिकांश महिलाओं का तो यह स्वभाव होता है कि दिन में एक बार किसी न किसी बात पर अफसोस जताती है। कभी घर की सफाई को अधूरा छोड़कर office चले जाने का तो कभी वजन बढ जाने का। ऐसी कई चीजे है जिसके लिए हम खुद को दोषी ठहराते है पर खुद को दोषी ठहराने की हमारी आदत धीरे – धीरे हमारे स्वास्थ्य के लिए खतरनाक साबित होती जाती है। हर बिगड़े हुए काम के लिए खुद को लगातार दोषी ठहराने की आपकी यह आदत आपको अवसाद (depression) के घेरे में भी ले सकती है।
(1) खराब सेहत को लेकर पछताना
स्त्री हो या पुरूष दोनों ही fit और खुबसूरत दिखना चाहते है। अगर आप भी वाकई स्मार्ट और खूबसूरत दिखना चाहते है तो इस दिशा में आप को गंभीर प्रयास करने होंगे। उठिए पछताना छोड़िए और जरा अपनी सेहत के लिए कुछ कीजिए। रोज सुबह उठकर टहलने ना जाने के बहाने तलाशना बंद कीजिए। संतुलित खाना खाइये | गली वाले हलवाई के चाट, समोसे को हर हफ्ते खाने की जरुरत नहीं हैं। सेहतमंद और घर के बने खाने से अपनी दोस्ती बढाइए। और हां हरी सब्जियों को देखकर भले ही आप नाक – मुंह सिकोड़ा करते थे पर अब ऐसा नहीं कीजिए | वजन बहुत बढ गया है और आप कम नहीं कर पा रहें हैं तो नियमित exercise करें या फिर जिम जाने के लिए वक्त निकाले। डाक्टर की सलाह बेहिचक लीजिए। साथ ही इस बात को स्वीकारें कि वजन कम करना या बढाना आप पर पूरी तरह निर्भर करता है, इसलिए खुद को दोष देने के वजाय खुश रहने के तरीके अपनाने की दिशा में प्रयास करें।
(2) खुद पर ज्यादा खर्च करने पर पछतावा
कमाओ, बचाओ तब खर्च करो । पैसे हाथ में आने से लेकर खत्म होने तक की सही प्रक्रिया यही होनी चाहिए। ऐसा विशेषज्ञ भी मानते है। पर कभी – कभी हम ये भूल जाते है और किसी रोज बहुत सारी शॉपिंग बैग के साथ घर लौटने के बाद अपराध बोध से ग्रस्त हो जाते है तो आप को यह समझना होगा कि जब परिवार के अन्य सदस्यों पर खर्च करने से आप को किसी तरह का अपराध बोध नहीं होता तो फिर खुद पर खर्च करने के बाद पछतावा क्यों ? दूसरी बात यह भी है कि अगर आप शॉपिंग के दौरान खरीदें गए सामानों पर गौर करेंगे तो पायेंगे कि आप सिर्फ उन्ही चीजों पर खर्च कर रहे, जिसकी आप को वाकई जरुरत है।
(3) बच्चों के साथ वक्त न बिता पाने का पछतावा
अधिकांश कामकाजी स्त्री – पुरुष का यह मानना होता है कि वह office की अपनी जिम्मेदारियों और बच्चों की जिम्मेदारी के बीच सही संतुलन नहीं बना पा रहे हैं। पर सच तो यह है कि office में रहकर बच्चों को वक्त न दें पाने का अफसोस जताने से न तो बच्चों के साथ आप वक्त बिता पाएंगे और न ही office की जिम्मेदारियों को पूरा करने में आप 100 प्रतिशत दे पाएंगे। इस समस्या का एक मात्र हल यह है कि आप जो भी काम वर्तमान में कर रहे है, उसे अपना 100 प्रतिशत दें। अगर office में है तो वहाँ की जिम्मेदारियां पूरी तन्मयता से पूरी करें और अगर घर पर है तो बच्चों को पूरा वक्त दें। क्योकिं professional जिंदगी अगर सही राह पर चल रही है तो इस बात की संभावना काफी ज्यादा है कि निजी जिंदगी भी संतुलित रहेगी। अगर निजी जिंदगी में problems आएंगी भी तो उनका सामना करने के लिए ऐसी स्थिति में आप पूरी तरह से तैयार रहेंगे।
(4) खुद के लिए समय ना निकाल पाने का पछतावा
कामकाजी महिलाओं और पुरुषों को घर और office की जिम्मेदारियों के बीच अकसर खुद के लिए वक्त नहीं मिलता है। फिर धीरे – धीरे शुरू होता है इस बात का अफसोस कि अपनी favourite movie देखे कितना समय हो गया है या फिर हो सकता है कि आप अपनी किसी hobby या passion को समय की कमी के कारण पूरा ना कर पा रहे हो। खुश रहने के तरीके का यह महत्वपूर्ण तथ्य आप को समझना होगा कि कभी कभार कुछ ना करना भी जरुरी है | कुछ ना करने से मेरा मतलब office , नाते – रिश्तेदारों की जरुरत से ज्यादा आवभगत या फिर पड़ोसियों की नजर को नजरंदाज कर कुछ वक्त अपनी खुशी को देने से है ताकि आप शारीरिक और मानसिक रूप से उर्जावान बन सकें। आप को खुद और अपने आस – पास वालों को यह समझाना होगा कि आप की भी सीमाएं है और आप को भी अपने लिए वक्त चाहिए।
(5) खुद पर करें विश्वास
खुश रहने के तरीके में सबसे पहले यह विश्वास करें कि आपकी जिंदगी भी perfect हो सकती है। खुद की क्षमताओं में अगर आप को विश्वास नहीं होगा तो आप अपनी जिंदगी को कभी भी मनचाही दिशा नहीं दें पाएंगे। खुद पर विश्वास ही आपको अपने अरमानों को सच्चाई में तब्दील करने का हौसला देगा और आपको पछतावे से बाहर आने में आपकी मदद करेगा।
खुश रहने के लिए आप को खुद की सोच में भी बहुत सारे बदलाव लाने होंगे। क्योंकि जैसा आप सोचेंगे वैसा आप के साथ होगा। अभी तक ऐसा नहीं मानते थे तो अब मान लीजिए। जिंदगी की सकारात्मक चीजों पर अपना ध्यान केंद्रित करें। अगर नकारात्मक चीजों की ओर आप का ध्यान ज्यादा होगा तो जिंदगी बेहतर बनाने के आप के तमाम प्रयास नाकाफी साबित होंगे। वर्तमान में जीने की आदत भी इसमें मददगार साबित होगा। आपको निर्णय लेना है कि आप आधा भरा गिलास देखना चाहते है या आधा खाली। सकारात्मक नजरिया है तो आप आधा भरा गिलास देखेंगे और खुश रहेंगे।
निवदेन – Friends अगर आपको खुश रहने के तरीके पर यह लेख अच्छा लगा हो तो इसे जरुर share कीजियेगा और हाँ हमारा free email subscription जरुर ले ताकि मैं अपने future posts सीधे आपके inbox में भेज सकूं |
Very nice
Shandaar lekh k liy bahut – bahut dhnybad Babita ji Achha Article hai
धन्यवाद Sandeep जी ।
Mam I totally agree with your points. Job aur ghar ke beech balance banate banate Apne liye time hi nahi bachta aur keval afsosh hota tha. Lekin aaj aapka article padhne ke baad mujhe feel ho raha hai ki mei Apne liye time hi nahi Nikal paa Rahi hu. Many Manny thanks for your post.
जी हाँ Swara जी, हमें अपने लिए time management करना बहुत जरुरी है |
अब कर भी क्या सकता है कोई सब कुछ एडजस्ट करना पड़ता है इस भाग दौड़ की जिंदगी में। मगर आपका एक और सुंदर लेख। ये सब समझना आज की जनरेशन के लिए जरूरी है।
आपके प्रोत्साहन के लिए बहुत बहुत धन्यवाद Deewakar जी |
Bilkul shi baat…
धन्यवाद Roshni जी |