Motivational Hindi Story : विचार करके ही कार्य करना चाहिये

काशी में एक धनी मगर कंजूस व्यक्ति था | वह धार्मिक प्रवृति का था पर दान दक्षिणा में विश्वास नहीं था | वह बिना कुछ खर्च किये पुण्य प्राप्त करना चाहता था | एक बार उसने सुना कि चीटियों को आटा खिलाने से सारे पाप – ताप कट जाते हैं | इतना सस्ता नुस्खा पाकर वह बहुत खुश हुआ | अगले दिन से ही वह सुबह – सुबह मंदिर के आस – पास एक छटाक आटा चींटियों के बिलों पर बिखेरने लगा |
महीने भर में उस स्थान पर जहां वह व्यक्ति आटा बिखेरता था चींटियों के हजारों नए बिल तैयार हो गए और इस सुविधा से लाभ उठाने के लिए करोड़ों चींटियाँ उस क्षेत्र में जमा हो गई | चींटियों की संख्या इतनी बढ़ी कि मंदिर के समीप रहने वाले लोगों के नाकों – दम आ गया | लोगों को समझ में नहीं आ रहा था कि क्या करें | लोग अपने घर छोड़ अन्यत्र जाने लगे |
एक दिन मंदिर के आँगन में एक संत ने प्रवचन में कहा कि “ जोश के साथ होश भी कायम रखना चाहिए, भावुकता के साथ विवेक का भी ध्यान रखना चाहिए , धर्म का कार्य करने के साथ यह भी सोचना चाहिए कि उससे धर्म की जड़े तो नहीं कट रही |” उस संत का प्रवचन वह व्यक्ति भी सुन रहा था | व्यक्ति ने संत के प्रवचन पर गहराई से विचार किया | उसने महसूस किया कि उसके द्वारा किये जाने वाले अविवेकपूर्ण कार्य कि वह चींटियों को बुला कर इंसानों को भगाने में ही तो लगा है | पुण्य के चक्कर में वह दूसरों को नुकसान पंहुचा रहा है | उसने दुबारा ऐसी गलती ना करने का निश्चय कर लिया |
Moral – हमें कोई भी कार्य करने से पहले देख लेना चाहिए हमारे कार्य से दूसरों को किसी प्रकार की हानि तो नहीं हो रही , चाहे हमारा मकसद कितना ही नेक हो | इसलिए हमें किसी भी कार्य को विवेक से करना चाहिए क्योंकि जोश व जल्दबाजी में किए कार्य से खुद को तथा दूसरों को ठेस पहुच सकती है |
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बबिता जी आपने सही कहा है कि किसी भी कार्य को करने से पहले सोच समझ कर कार्य करने से काम सही ढंग से पुरा होता है बहुत अच्छा सुझाव दिया है आपने इसके लिए आपका धन्यवाद