नैतिक मूल्यों पर आधारित हिंदी कहानी लालच बुरी बला है : Lalach Buri Bala Hai Moral Hindi Story
Lalach Buri Bala Kahani In Hindi : 8 साल का एक लड़का जिसका नाम अशोक था | उसके पिता को व्यापार के काम से दूसरे देशों की यात्रा पर जाना था और जहां से लौटने में उनको 8 – 10 साल लगने वाले थे |
अशोक की माँ की पहले ही मृत्यु हो चुकी थी और उसका घर पर देखभाल करने वाला कोई नहीं था | इसलिए उन्होंने अशोक को नालंदा विश्वविद्यालय में पढ़ने के लिए भेज दिया और खुद व्यापार करने के लिए बाहर चला गया | 10 साल बाद जब वह व्यापारी घर लौटा तो वह बहुत बीमार था और बीमारी के कारण कुछ ही दिनों में उसकी मृत्यु हो गई | लेकिन मरने से पहले उसने अपनी सारी सम्पत्ति अशोक के नाम कर दी और उसके पास समाचार भिजवा दिया और तब तक की व्यापार की व्यवस्था अपने एक करीबी को सौप दी |

अशोक तक जब यह समाचार पहुचा तो वह व्याकुल हो तुरन्त घर चलने के निकल पड़ा | मार्ग में उसे एक अन्य युवा मिला तथा सहानुभूति दिखाते हुए उसने, अशोक से उसके उत्तराधिकारी होने तथा परिवार में अकेला होने का सारा भेद मालूम कर लिया और अशोक के साथ हो लिया | दोनों में काफी गाढ़ी मित्रता भी हो गयी, किन्तु घर पहुचते ही अशोक के साथ वह भी रोने लगा और अपने को उत्तराधिकारी कहने लगा |
करीबी व्यक्ति को यह समझ में नहीं आ रहा था कि असल में उत्तराधिकारी कौन है | उसने भी अशोक को बचपन में देखा था | उसने एक युक्ति निकाली | वह व्यापारी का एक फोटो लेकर आया और उस फोटो को उल्टा कर दीवार पर लगा दिया | अशोक तथा उस दूसरे युवा के हाथ में तीर – कमान देकर फोटो वाले व्यक्ति की छाती पर निशाना लगाने लिए कहा और यह भी कहा कि जिसका निशाना सही लगेगा उसी को सारी सम्पत्ति दे दी जाएगी |
अशोक के साथी का निशाना बिल्कुल सही लगा | लेकिन अशोक ने निशाना लगाने से मना कर दिया और तीर – कमान फेक कर फोटो से लिपटकर फुट फुट कर रोने लगा | अशोक ने कहा मुझे कोई संपत्ति नहीं चाहिए बस मुझे निशानी के तौर पर यह फोटो दे दो मैं इसे लेकर यहाँ से चला जाऊंगा |
पिता के प्रति श्रद्धा – भाव देखकर करीबी को यह समझने में बिलकुल देर नहीं लगी कि असली उत्तराधिकारी कौन है | उसने अशोक को उत्तराधिकारी घोषित कर दिया और दूसरे युवा को जेल भिजवा दिया |
कहानी से सीख
धन की आकांक्षा करना बुरा नहीं है | बुरा वह तब बन जाता है, जब उसके साथ लोभ जुड़ जाता है | लोभ के पांव तो होते नहीं | वह उड़कर मस्तिष्क में घुस पड़ता है और ऐसे ताने – बाने बुनना आरंभ करता है कि किसी प्रकार अभीष्ट वस्तु की शीघ्र प्राप्ति हो जाए | लेकिन जब बेसिर पैर की योजनाएं क्रियान्वित होती है, तो अपने साथ संकट और त्रास भी साथ लाती है | इसलिए वस्तु की तो आकांक्षा रखनी चाहिए लेकिन उसके अनावश्यक संग्रह से बचना चाहिए |
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Good story with moral.
Bhut hi achi story hai post ke liy aap ka dhnybad
धन्यवाद Sandeep जी ।
Very nice story. सच मे लालच बुरी बला होती हैं.
Thanks. Keep reading.
very nice story and very
moralfull I am thanking u for giving this wonderful and moralfull story.
धन्यवाद Abhishek जी |
Hello kya me Jan Santa hun apke blog ka Jo template hai uska name or apne ye khud design kiya hai ya download ….???? I want a 1 small help. I hop you never mine
आपको design पसंद आया इसके लिए बहुत बहुत धन्यवाद | | मैं आपको बताना चाहूंगी कि khayalrakhe का design hamarisafalta.in के Kiran Sahu जी ने डिजाईन किया है |